mukhymantri mahila Yojana
mukhymantri mahila Yojana: 01 अक्टूबर से महिलाओं को फ्री ₹7000 मिलेंगे गरीब के लिए मोदी सरकार की 10 योजना महिला किसान युवा
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना 2025: महिलाओं को 01 अक्टूबर से फ्री ₹7000 मिलने की बड़ी योजनाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण योजना, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना, बिहार में शुरू की है। इस योजना के तहत हर गरीब महिला किसान, युवा महिला को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ₹10,000 की शुरुआती आर्थिक सहायता दी जाएगी,
जिसमें पहली किस्त 26 सितंबर से 75 लाख महिलाओं के खातों में सीधे ट्रांसफर की जा चुकी है और योजना का लाभार्थी होना अनिवार्यतः 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाएं होंगी। इसके बाद छह महीने में व्यवसाय के बढ़ाव पर ₹2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता भी दी जा सकेगी। योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों की महिलाओं को स्वरोजगार देना और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाना है।
योजना के प्रमुख लाभ
एक परिवार की एक eligible महिला को ₹10,000 की शुरुआती सहायता दी जाएगी, जिसका उपयोग वह खेती, पशुपालन, सिलाई, हस्तशिल्प, व्यापार या अन्य छोटे व्यवसाय के लिए कर सकेगी। इस राशि से महिलाओं को अपना स्वरोजगार शुरू करने में मदद मिलेगी।
योजना में जुड़ी महिलाओं को छह महीने के बाद व्यवसाय की प्रगति के आधार पर ₹2 लाख तक की अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिल सकती है, जिससे वह अपने व्यवसाय का विस्तार कर सकें।
योजना के तहत जीविका स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को मुख्य रूप से लाभ मिलेगा, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आवेदन कर सकती हैं
इस योजना से लगभग 2.7 करोड़ परिवारों की महिलाएं लाभान्वित होंगी, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
आवेदन प्रक्रिया और पात्रता
आवेदन SHG के माध्यम से या ऑनलाइन पोर्टल पर किए जा सकते हैं, जिसमें आवेदक महिला का परिवार सरकारी नौकरी में नहीं होना चाहिए तथा आयकरदाता भी नहीं होना चाहिए।
18 से 60 वर्ष तक की महिलाएं आवेदन कर सकती हैं, जिनमें अविवाहित महिलाएं भी शामिल हैं।आवेदन करने की प्रक्रिया मुफ्त है और किसी भी प्रकार की फीस नहीं ली जाती।
योजना का प्रभाव
यह योजना बिहार में महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती है। इससे महिलाओं का जीवन स्तर बेहतर होगा, परिवारों की आमदनी बढ़ेगी और पलायन की समस्या में कमी आएगी। एमएसएमई क्षेत्र और महिलाओं के छोटे स्थानीय व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण होगा।