jameen sarve new rules
सितंबर 2025 में जमीन सर्वे और रजिस्ट्री के लिए लागू किए गए नए कानून ने अब जमीन की खरीद-बिक्री प्रक्रिया को पहले से कहीं ज्यादा कड़ा और पारदर्शी बना दिया है। जमीन मालिकों के लिए इस बदलाव का सीधा असर उनके संपत्ति अधिकारों, रजिस्ट्री प्रक्रिया और भूमि विवादों पर पड़ेगा.
क्या है नया कानून और सर्वे नियम?
सरकार ने 2025 में जमीन खरीद-बिक्री के नियमों में कई बड़े बदलाव किए हैं। अब किसी भी जमीन की रजिस्ट्री, खरीद या बंटवारा तभी संभव है जब उस जमीन के सारे दस्तावेज दुरुस्त, अपडेट और डिजिटल तरीके से दर्ज हों। अब बिना सही जमाबंदी संख्या, जिल्द नंबर और पृष्ठ संख्या के जमीन बेचना या खरीदना मुमकिन नहीं है.
जमीन का रिकॉर्ड पंजीकृत होना अनिवार्य है।
बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण जरूरी है – यानी फर्जी पहचान से कोई भी लेन-देन नहीं हो पाएगा.
केवल उन्हीं लोगों को जमीन बेचने का अधिकार, जिनके नाम भू-अधिकार अभिलेख में दर्ज हैं।
सभी डॉक्यूमेंट्स की डिजिटल वेरिफिकेशन, ऑनलाइन पंजीकरण और ई-स्टाम्पिंग अनिवार्य होगी.
परिवार में बंटवारे वाली संपत्ति की रजिस्ट्री अब केवल ₹100 में आसानी से हो जाएगी (बिहार के लिए).
अब नहीं बेच पाओगे ज़मीन, कब और कैसे?
सरकार के इन नए प्रावधानों के चलते अब वे लोग अपनी जमीन नहीं बेच पाएंगे:
जिनके नाम पर जमीन अभी भी पुराने रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है।
जिनके पास रजिस्ट्री, दाखिल-खारिज, और जमाबंदी दस्तावेज अधूरे या अपूर्ण हैं।
जिनके जमीन पर कोई मौखिक समझौता या विवाद चल रहा है, उसका निपटारा ना हुआ हो।
हर जमीन मालिक को अपने दावे का पूरा रिकॉर्ड और वैध कागजात प्रस्तुत करने होंगे, वरना जमीन की रजिस्ट्री या बिक्री नहीं होगी.
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किसानों और आम नागरिकों को राहत
जिन किसानों के बीच आपसी सहमति से बदलैन (जमीन की आपसी अदला-बदली) हुआ है, उन्हें अब कानूनी मान्यता मिल गई है। लिखित सहमति देकर सर्वे टीम के सामने सत्यापन कराना आवश्यक है। इसके बाद ही भूमि अधिकार खाता खुलेगा और वे बैंक ऋण ले सकेंगे या जमीन बेच सकेंगे.
विवादित एवं बैनामा वाली जमीनों के लिए भी यह प्रक्रिया लागू है।
बिना कागजी सहमति के और बिनााधिकारिक रिकॉर्ड के कोई व्यक्ति अपनी जमीन बेच नहीं पाएगा।
सरकार ने सर्वेक्षण के दौरान रिकॉर्ड हुए दस्तावेजों के आधार पर ही जमीन मालिकाना दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया है.
मुख्य फायदे और नुकसान
फर्जीवाड़ा और भू-माफिया गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगेगी।
भूमि विवादों में उल्लेखनीय कमी आएगी।
सभी नागरिक अपने हिस्से की सही जमीन ही बेच सकेंगे।
पुराने विवाद और अपूर्ण दस्तावेज वाले लोगों को अपनी जमीन बेचने में अब दिक्कत होगी.
निष्कर्ष
सितंबर 2025 के नए भूमि सर्वे व रजिस्ट्री कानूनों के तहत अब बिना सही अभिलेख, डिजिटल रजिस्ट्रेशन, आधार बायोमेट्रिक और दुरुस्त रिकॉर्ड के जमीन बेचना संभव नहीं है। यह सरकार का किसान-मालिक और संपत्ति विवादों को दूर करने का अहम कदम है, जिससे भू-माफिया और फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी तथा ज़मीन मालिकों के अधिकार सुरक्षित होंगे