Supreme Court TET Exam
Supreme Court TET Exam: 51 लाख शिक्षकों के लिए बड़ी खबर ! Government का सुप्रीम फैसले पर बड़ा कदम
सुप्रीम कोर्ट ने टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को लेकर हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो सीधे तौर पर देश के करीब 51 लाख शिक्षकों को प्रभावित करता है। इस फ़ैसले के अनुसार, अब कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी सेवा में कार्यरत शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य हो गया है। यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है और इसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: मुख्य बातें
TET अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वे सभी शिक्षक जिनकी सेवा समाप्ति में 5 साल से अधिक बाकि हैं, उन्हें अगले दो वर्षों के भीतर TET परीक्षा में पास होना ज़रूरी है। इस अवधि में ऐसा नहीं करने पर नौकरी या तो स्वैच्छिक रूप से छोड़नी होगी या अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी.
पुराने शिक्षक भी शामिल: यह फैसला उन्हीं पर भी लागू होता है जिनकी नियुक्ति 2011 से पहले हुई थी। यानी अनुभव अब TET की अनिवार्यता से बाहर नहीं कर सकता। प्रत्येक शिक्षक को परीक्षा में उत्तीर्ण होना आवश्यक है, चाहे उसका कार्यकाल कितना भी लंबा क्यों न हो.
5 साल से कम सेवा शेष: जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति तक 5 साल से कम समय बचा है, उन्हें TET से छूट मिलेगी। वे बिना TET पास किए नियमित सेवा समाप्त कर सकते हैं, लेकिन प्रमोशन की पात्रता नहीं होगी.
नई भर्तियों के लिए अनिवार्यता: अब से सभी नई शिक्षक नियुक्तियां भी उसी को मिलेंगी जिसने TET परीक्षा पास की हो.
शिक्षकों पर प्रभाव
पूरे देश में इस फैसले के कारण टीचिंग कम्युनिटी में गहरी चिंता और आक्रोश है।
लाखों लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों को अब इस परीक्षा की तैयारी करनी होगी, इससे उनकी नौकरी की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ा है।
कुछ राज्यों की शिक्षक यूनियन और सरकारों ने बड़े स्तर पर समय सीमा बढ़ाने या इन-सरविस TET की मांग की है, खासकर 45-55 वर्ष की आयु वाले शिक्षकों के लिए.
निजी (नॉन-माइनॉरिटी) स्कूलों के शिक्षकों को भी अब प्रबंधन की मनमानी से बचाव मिलेगा, क्योंकि TET के बिना भर्ती या प्रमोशन संभव नहीं होगा.
शिक्षा व्यवस्था और सरकार का दृष्टिकोण
सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों का मानना है कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षक की न्यूनतम योग्यता बहुत जरूरी है।
यह फैसला RTE एक्ट 2009 और NEP 2020 के तहत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और पारदर्शिता को लागू करने के लिए लिया गया है.
कुछ जटिलताएं अल्पसंख्यक (माइनॉरिटी) स्कूलों को लेकर हैं, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत उन्हें स्वायत्तता मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को विस्तृत बेंच को भेजा है, जिसमें यह फैसला होगा कि माइनॉरिटी संस्थानों में भी TET लागू होगा या नहीं.
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया गया यह कदम देशभर के शिक्षकों के लिए बड़ा झटका है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह बच्चों के हित में तथा शिक्षा मानकों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अब हर शिक्षक को अपने पेशे में बने रहने के लिए दो साल के भीतर TET क्वालीफाई करना जरूरी है, जिससे पूरे देश में शिक्षा की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आने की उम्मीद है.